



महाप्रभु के जन्म पर मंत्र और जप हुए सिद्ध: गौरदास महाराज
बाबा न्यूज
आगरा। महाप्रभु गौर पूर्णिमा के दिन संध्या में लगभग 6 बजे प्रकट हुए, उस दिन चंद्रग्रहण था, सारे नवदीपवासी गंगा के तट पर भजन करने लगा, कोई जप करने लगा। जैसे ही महाप्रभु प्रकट हुए सभी के मंत्र, जप, यज्ञ आदि सिद्द हो गए े सारा नवदीप कीर्तनमय हो गयो ये कहना था महाराजा अग्रसेन भवन पर चल रही कथा मे व्यासपीठ से श्री वृन्दावन धाम से पधारे गौरदास महाराज का े लोहामंडी स्थित महाराजा अग्रसेन भवन में श्री निताई गौरांग कथा मे दूसरे दिन श्रीकृष्ण चैतन्य महाप्रभु के प्रसंगों का वर्णन किया।
चैतन्य महाप्रभु के बालकल्य के पावन चरित्र का वर्णन करते हुए व्यास गौरदास जी महाराज ने बताया कि अवतरित होने के बाद महाप्रभु ने अपनी मैया का दूध नहीं पिया, तो अध्वेत प्रभु जी आये तो महाप्रभुजी उस समय एक दिन के थे, अध्वेत जी से बात करते हुए कहा कि अपने मेरी मैया को नाम मंत्र तो दिया किन्तु बीज मंत्र नहीं दिया, तब उनकी मैया को बीज मंत्र मिला और वो पूर्ण वैष्णव हो गयी तब महाप्रभु ने मैया का दुग्धपान किया े एक अन्य प्रसंग में गौर दास महाराज ने बताया कि एक दिन महाप्रभु जी बहुत रोये तब मैया के मुंह से हरी निकला तो महाप्रभुजी एक दम चुप हो गए, तब सब स्त्रियां समझ गयी, जब भी महाप्रभुजी रोये तो सारी स्त्रीयां हरी बोला करती तो वो चुप हो जाते े महाप्रभु के हरिनाम के बल पर पुरे देश में हिन्दुओ को एक कर दिया।
व्यास गौरदास महाराज के ये कथावचन के सुन कर पूरा प्रांगण जय श्री राधे के जयकारों से गुंजायमान हो उठा। भागवत कथा का आयोजन महाराजा अग्रसेन सेवा समिति द्वारा कराया जा रहा है जो कि 23 जुलाई तक चलेगी।
ये रहे मौजूद
इस दौरान महासचिव डॉ. वी.डी. अग्रवाल, कोषाध्यक्ष धनश्याम दास अग्रवाल, उपाध्यक्ष महावीर प्रसाद मंगल, विनोद गोयल, सतीश मांगलिक, भगवान दास बंसल, हरी बाबू अग्रवाल, रामरतन मित्तल, मुरारी प्रसाद अग्रवाल, सरजू बंसल, ओमप्रकाश गोयल, विजय बंसल, प्रेमचंद अग्रवाल, सुरेंद्र मित्तल, सलिल कुमार गोयल, हरी बाबू अग्रवाल, विनोद कुमार गोयल, फूलचंद बंसल, उत्तम चंद अग्रवाल, छोटे लाल बंसल, साकेश अग्रवाल, विजय कुमार सर्राफ, मुन्ना लाल बंसल आदि मौजूद रहे।
ब्रज में बाढ़ आने पर संत करते हैं यमुना जी का पूजन
गौरदास जी महाराज ने कहा कि देश में बाढ़ का हल्ला मचा हुआ है पर हमारे ब्रज में साधू संत यमुनाजी का पूजन करते है े हमारे घर में कोई अतिथि आता है तो क्या हम घर छोड़ कर भाग जाते हैे साधू लोग छत पर चले जाते हैे ये सब भावना का ही खेल हैे क्रोध, शांत, प्रसन्न भाव ही तो हैे श्याम सुंदर जी के प्रेम से विश्व के सरे तीर्थ यमुना में आ जाते है।