



संन्यास की दीक्षा लेने के बाद निमाई का नाम हो गया कृष्ण चैतन्य देव: गौरदास महाराज
बाबा न्यूज
आगरा। महाराजा अग्रसेन सेवा समिति की ओर से लोहामंडी स्थित महाराजा अग्रसेन भवन में चल रही श्री निताई गौरांग कथा मे व्यासपीठ से श्री वृन्दावन धाम से पधारे गौरदास महाराज ने तीसरे दिन बुधवार को श्रीकृष्ण चैतन्य महाप्रभु के अद्भुत चरित्र प्रसंगों का वर्णन कियो
व्यासपीठ से गौरदास महाराज ने श्रद्धालुओं को कथा से सरोबार करते हुए कहा कि जब चैतन्य महाप्रभु कीर्तन करते थे तो लगता था मानो ईश्वर का आह्वान कर रहे हो। भगवान श्रीकृष्ण ही परम सत्य हैं। कृष्ण ही सभी ऊर्जा को प्रदान करते हैं। कृष्ण ही रस के सागर हैं। सभी जीव भगवान के ही छोटे-छोटे भाग हैं। चैतन्य महाप्रभु कृष्ण भक्ति के धनी थे। सन 1510 में संत प्रवर श्री पाद केशव भारती से संन्यास की दीक्षा लेने के बाद निमाई का नाम कृष्ण चैतन्य देव हो गया। अपने समय में संभवत: इनके समान ऐसा कोई दूसरा आचार्य नहीं था, जिसने लोकमत को चैतन्य के समान प्रभावित किया हो।
विश्व भर में श्री हरिनाम संकीर्तन श्री चैतन्य महाप्रभु की ही आचरण युक्त देन है। उन्होंने कलियुग के जीवों के मंगल के लिए ही उन्हें श्रीकृष्ण प्रेम प्रदान किया है। वह सांसारिक वस्तु प्रदाता नहीं बल्कि करुणा और भक्ति के प्रदाता हैं। उनके आध्यात्मिक, धार्मिक, महमोहक और प्रेरणादायक विचार लोगों की अंतरआत्मा को छू जाते हैं। व्यास गौरदास महाराज का ये कथावचन के सुन कर पूरा प्रांगण चैतन्य महाप्रभु के जयकारों से गुंजायमान हो उठा। भागवत कथा का आयोजन महाराजा अग्रसेन सेवा समिति द्वारा कराया जा रहा है जो कि 23 जुलाई तक चलेगी।
ये रहे मौजूद
इस दौरान अध्यक्ष मोहनलाल अग्रवाल, महासचिव डॉ. वी.डी. अग्रवाल, कोषाध्यक्ष धनश्याम दास अग्रवाल, उपाध्यक्ष महावीर प्रसाद मंगल, सतीश मांगलिक, विनोद कुमार गोयल, सुरेश चंद्र, ग्रीस गुप्ता, पुष्पा बंसल, उषा बंसल, सीए अरुण कुमार, रामरतन मित्तल, भगवान दास बंसल, सरजू बंसल, सौरभ ललित, उमाशंकर अग्रवाल, हरी बाबू अग्रवाल, रामरतन मित्तल आदि मौजूद रहे।