



थाना शमशाबाद क्षेत्र में 42 साल पहले हुई थी घटना
बाबा न्यूज़
आगरा। जनपद के थाना शमसाबाद में 42 साल पहले पुलिस की फायरिंग में एक युवक की मौत और दो के घायल होने के मामले में मुकदमा दर्ज हुआ था। इस मामले में पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट लगा दी, जो कोर्ट में स्वीकार हो गई। पीड़ित ने वर्ष 1987 में परिवाद प्रस्तुत किया। अब सुनवाई पूरी होने के बाद अपर जिला जज प्रथम सुधीर कुमार ने हत्या और घायल करने के आरोप से तत्कालीन उप निरीक्षक त्रिपुरारी दिवाकर, सिपाही जगदीश प्रसाद और सतीश कुमार को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया।
इस मामले में थाना शमसाबाद में मुकदमा दर्ज कराया गया था। लज्जाराम वादी थे। उन्होंने कहा था कि उनके चाचा यशपाल सिंह उर्फ विलायती ने थानाध्यक्ष शमसाबाद और अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ गलत आचरण की शिकायत उच्चाधिकारियों से की थी। एक शिकायत चाचा वृंदावन सिंह ने की। इस कारण पुलिसकर्मी रंजिश मानने लगे। तीन अगस्त 1980 की सुबह पांच बजे घर पर पुलिस आई। चाचा यशपाल उर्फ विलायती को बिना वजह पकड़कर ले जाने लगे। लज्जाराम, उसके भाई चरन सिंह, पिता कल्याण सिंह ने विरोध किया।
आरोप है कि इस पर पुलिसकर्मियों ने फायरिंग कर दी। पुलिस की गोली लगने से कल्याण सिंह की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि यशपाल सिंह समेत दो लोग घायल हो गए। मामले में हत्या, हत्या की कोशिश और अन्य आरोप में तत्कालीन थानाध्यक्ष शमसाबाद ओमप्रकाश त्यागी, तत्कालीन उपनिरीक्षक राम नरायन सिंह, उप निरीक्षक त्रिपुरारी दिवाकर, सिपाही नबाव सिंह, जगदीश प्रसाद, सतीश कुमार और किशन कुमार के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया।
पुलिस ने विभागीय मामला होने के कारण मुकदमे में फाइनल रिपोर्ट लगाकर अदालत में प्रस्तुत कर दी। इसे 26 मार्च 1984 को अदालत ने स्वीकार कर लिया। वादी ने वर्ष 1987 में आरोपियों के खिलाफ परिवाद प्रस्तुत किया। इस पर 25 जून 1987 को अदालत ने आरोपियों को मुकदमे के विचारण के लिए तलब करने के आदेश किए। विचारण के दौरान तत्कालीन थानाध्यक्ष ओम प्रकाश त्यागी, उपनिरीक्षक राम नरायन सिंह, सिपाही नबाव सिंह, सिपाही किशन कुमार की मृत्यु हो गई।
वहीं वादी मुकदमा लज्जाराम, वृंदावन, यशपाल उर्फ विलायती और गवाह कैलाशी की भी मृत्यु हो गई। मामले में चरन सिंह, राम सिंह और ओमप्रकाश की ही गवाही हुई। तीनों गवाहों के गवाही से मुकरने पर अपर जिला जज प्रथम सुधीर कुमार ने साक्ष्य के अभाव में तत्कालीन उप निरीक्षक त्रिपुरारी दिवाकर, सिपाही सतीश कुमार और सिपाही जगदीश प्रसाद को बरी करने के आदेश किए।