



मित्रता में कभी धन दौलत आड़े नहीं आती : शिवमूर्ति महाराज
बाबा न्यूज
आगरा।: ‘स्व दामा यस्य स: सुदामा’ अर्थात अपनी इंद्रियों का दमन कर ले वही सुदामा है। सुदामा की मित्रता भगवान के साथ नि:स्वार्थ थी उन्होने कभी उनसे सुख साधन या आर्थिक लाभ प्राप्त करने की कामना नहीं की लेकिन सुदामा की पत्नी द्वारा पोटली में भेजे गये चावलों में भगवान श्री कृष्ण से सारी हकीकत कह दी और प्रभु ने बिन मांगे ही सुदामा को सब कुछ प्रदान कर दिया। ये कहना था कमला नगर स्थित कर्मयोगी में में चल रही श्रीमंद भागवत कथा मे शिवमूर्ति महाराज का | श्रीमद्भागवत कथा के सातवे दिन सुदामा-चरित्र, शुकदेव विदाई एवं परीक्षित मोक्ष का मार्मिक संजीव वर्णन श्रद्धालुओं के समक्ष व्यक्त किया।
व्यास शिवमूर्ति द्विवेदी ने श्रद्धालुओ को बताया कि सुदामा के आने की खबर पाकर किस प्रकार श्रीकृष्ण दौड़ते हुए दरवाजे तक गए थे। “पानी परात को हाथ छूवो नाही, नैनन के जल से पग धोये।” अर्थात श्री कृष्ण अपने बाल सखा सुदामा की आवभगत में इतने विभोर हो गए के द्वारका के नाथ हाथ जोड़कर और अंग लिपटाकर जल भरे नेत्रो से सुदामा का हालचाल पूछने लगे। इस प्रसंग से हमें यह शिक्षा मिलती है कि मित्रता में कभी धन-दौलत आड़े नहीं आती। सुदामा चरित्र की कथा का प्रसंग सुनाकर श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया|
*संजीव वर्णन देख रोये भक्त*
भागवत कथा के सातवें दिन कथा मे सुदामा चरित्र का वाचन हुआ तो मौजूद श्रद्धालुओं के आखों से अश्रु बहने लगे। सुदामा चरित्र की कथा सुनकर एवं कृष्ण एवं सुदामा के मिलन की झांकी का दृश्य देख कथा स्थल में मौजूद समस्त भक्तगण भाव विभोर हो गये। कथा के अंत में शुकदेव विदाई का आयोजन किया गया | भागवत कथा के मुख्य यजमान विरमा देवी, पवन अग्रवाल, अमिता अग्रवाल, हिमांशु आदि ने श्री महापुराण की आरती की |