



सरकारी स्कूल के बच्चे खा रहे सड़े खाद्यान्न का मीड डे मील!
सुरेश बघेल/ बाबा न्यूज
एत्मादपुर (आगरा)। सरकारी शिक्षा के मंदिरों में मीड डे मील से पेट भरने वाले नन्हे-मुन्ने नौनिहाल कब बीमारियों के शिकार हो जाएं, तो चौंकना मत। मौजूदा हालात तो यही कह रहे हैं।
तहसील से सटी ग्राम पंचायत सुरहरा के प्राथमिक विद्यालय छोटा सुरहरा में जब सुबह सरकारी सस्ता गल्ला विक्रेता पदम सिंह के यहां से बच्चों के मिड डे मील के लिए आने वाला 50 किलो गेहूं का बोरा खोला तो उसमें से स्कूल परिसर में कीड़े दौड़ने लगे। संयोग से उसी समय जमीन पर बैठकर मध्यान्ह भोजन कर रहे बच्चे अपनी थालियों को लेकर इधर-उधर भाग लिए। बोरे में आए गेहूं के दानों को पई (अनाज का कीड़ा) पूरी तरह चट कर चुकी थी। हाथ में लेने पर गेहूं से अधिक रेत और जिंदा पई अधिक थी। प्रधानाध्यापक ने वापस गेहूं राशन डीलर के पास भेजा तो कह दिया गया मेरे घर में नहीं बन रहा है जैसा आया वैसा ही लेना पड़ेगा। स्कूली बच्चे के अनाज के खराब निकलने पर क्षेत्रीय ग्राम प्रधान श्रीमती लौंगश्री देवी बघेल के प्रतिनिधि मुकेश बघेल ने स्कूल पहुंच कर गेहूं को देखा तो उन्होंने इसका कतई इस्तेमाल न करने को रसोइया से कह दिया। बोले, बच्चे इसे खाकर बीमार पड़ जाएंगे तो कौन जिम्मेदार होगा? उन्होंने इसके बाद ग्राम पंचायत क्षेत्र के स्कूलों के मिड डे मील को स्वयं खाकर चेक भी किया। उन्होंने बताया कि आज इस मामले की शिकायत एसडीएम अभय सिंह से भी की जाएगी।
खराब गेहूं में रेंग रहे थे कीड़े: निवेदिता उपाध्याय
एत्मादपुर। प्राथमिक विद्यालय छोटा सुरहरा की प्रधानाध्यापक श्रीमती निवेदिता उपाध्याय ने बताया कि स्कूल में 71 छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं। जिनके दोपहर के भोजन (मिड डे मील) के लिए हर महीने 50 किलो गेहूं और 50 किलो चावल राशन विक्रेता के यहां से मिलता है। उन्होंने सुबह गेहूं का कट्टा मंगाया था। खोला तो उसमें आया गेहूं पूरी तरह खराब निकला। उसमें कीड़े रेंग रहे थे। सहायक अध्यापक संदीप कुमार शर्मा ने बताया कि राशन विक्रेता ने खराब गेहूं बदलने से साफ इनकार कर दिया है।