



जयपुर हाउस के श्रीराम पार्क में चल रही है भक्त नरसी चरित्र कथा
दूसरे दिन भजन महिमा के साथ हुआ द्वारिकानाथ की हुंडी प्रसंग
बाबा न्यूज
आगरा। भजन और सत्संग बदल सकते हैं व्यक्ति का व्यक्तित्व। जैसी संगत में बैठते हैं वैसी हो जाती है रंगत भी। इसलिए कलयुग के व्यसनों से बचना है तो अधिक से अधिक भजन और सत्संग करें। भक्त नरसी चरित्र कथा के दूसरे दिन भजन महिमा का बखान करते हुए ये पंक्तियां कथा विदुषी कीर्ति किशाेरी जी ने कही।
भारत विकास परिषद सुरभि शाखा द्वारा जयपुर हाउस स्थित “श्रीरंग धाम”, श्रीराम पार्क में नानी बाई को मायरो (भक्त नरसी चरित्र कथा) का आयोजन किया गया है। तीन दिवसीय कथा के दूसरे दिन भजन महिमा, द्वारिकानाथ की हुंडी, संत भाेज, श्यामलशाह की कृपा, भात भरण, चुनरी दान आदि प्रसंग हुए। भात भरण और चुनरी दान प्रसंग का झांकियों सहित जब कीर्ति किशोरी जी ने वर्णन किया तो जैसे हर बहन की आंख श्रीहरि जैसा भाई पाने की इच्छा कर नम हो गयी। नानी बाई जोकि भक्त शिरोमणि नरसी मेहता की पुत्री थीं। उनके विवाह का भात भरने के लिए नारायण श्रीहरि स्वयं भाई बने और इस दायित्व को पूर्ण किया। भक्त नरसी मेहता अपने पिता के श्राद्ध की सामग्री लाने की जगह जब हरि कीर्तन में मग्न हो गए तो स्वयं नरसी का वेष रख श्रीहरि ने ये दायित्व भी पूर्ण किया था। भक्त नरसी के जीवन काल में भगवान ने 52 बार उन्हें किसी न किसी रूप में दर्शन दिए। द्वारिकानाथ की हुंडी की पाती का वर्णन कीर्ति किशाेरी जी ने भजन के साथ किया।
जीवन का उपयोगी सूत्र है बस एक
कथा विदुषी कीर्ति किशोरी जी ने श्रवणकर्ताओं काे जीवन का एकमात्र उपयोगी सूत्र बताते हुए कहा कि घर और समाज में यदि शांति चाहते हैं तो सबसे पहले स्वभाव में शांति लाएं। धार्मिक व्यक्ति की एक ही पहचान होती है धीमा बोल और प्रेम से बोल। भक्त नरसी का जीवन सीख देता है कि हर कण में श्रीहरि का वास देखें।
जब कुबेर ने की स्वर्ण मुद्राओं की वर्षा
कथा प्रसंग का वर्णन करते हुए पंडित रामानुज ने बताया कि भगवान ने जब गुजरात के जूनागढ़ में भात भरण लीला की तब स्वयं कुबेर ने 35 मिनट तक स्वर्ण मुद्राओं की वर्षा की थी।
25 जनवरी को होगा कथा का समापन
संस्था की अध्यक्ष निधि बंसल और सचिव निधि अग्रवाल के अनुसार 25 जनवरी, बुधवार को द्वेष का प्रतिकार, एकादशी महिमा, चंचला पर कृपा, हरिनाम से कलंक निवारण, श्रीकृष्ण बांकेबिहारी जु प्राकट्य, भक्त नरसी जी का श्रीचरणाें में समर्पण आदि प्रसंग होंगे। संकीर्तन के साथ कथा का समापन होगा।
बसंत पंचमी पर सात जोड़े लेंगे फेरे
व्यवस्था प्रमुख प्रीति उपाध्याय, वंदना अग्रवाल और नीलिमा शर्मा के अनुसार बसंत पंचमी, 26 जनवरी को कथा स्थल पर ही सात कन्याओं का सामूहिक विवाह समारोह होगा।
ये रहे उपस्थित
मुख्य यजमान मिथलेश अग्रवाल और नरेंद्र अग्रवाल, मनोज अग्रवाल, गुंजन अग्रवाल, महंत सुरेंद्र भारद्वाज, गौरव बंसल, एड राजीव अग्रवाल, राकेश अग्रवाल, महेश गोयल, विनय अग्रवाल, अनिल शर्मा, सुनीता गाेयल, रेखा अग्रवाल, ममता जैन आदि उपस्थित रहीं।