



तीन दिवसीय कार्यशाला में देश भर के विशेषज्ञों ने अपने विचार किए साझा
बाबा न्यूज
आगरा। भारतीय वन्यजीव संस्थान (वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट आॅफ इंडिया डब्ल्यू.आई.आई) और प्रोजेक्ट एलीफैंट डिवीजन, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, वाइल्डलाइफ एसओएस और उत्तर प्रदेश वन विभाग के सहयोग से हाथियों के प्रबंधन, रख-रखाव और स्वास्थ्य पहलुओं पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई।
रैडिसन होटल में आयोजित कार्यशाला में उत्तर प्रदेश वन विभाग और वाइल्डलाइफ एसओएस के सहयोग से भारतीय वन्यजीव संस्थान (वाइल्डलाइफ इंस्टिट्यूट आॅफ इंडिया डब्ल्यू.आई.आई) और प्रोजेक्ट एलीफैंट डिवीजन, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार की अनोखी पहल है। हाथी रिजर्व में और उसके आसपास कार्यरत 24 पशु चिकित्सा अधिकारी तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला में भाग ले रहे हैं। इसका उद्देश्य पशु चिकित्सा अधिकारियों के कौशल को बढ़ाना और हाथियों के व्यवहार, उचित रख-रखाव और हाथियों की स्वास्थ्य देखभाल, हाथियों में होने वाली बीमारियाँ और उनका इलाज, और ट्रांसपोर्टेशन से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर उन्हें संवेदनशील बनाना है।
उदघाटन सत्र की अध्यक्षता मुख्य अतिथि ममता संजीव दुबे, आईएफएस, प्रधान मुख्य वन संरक्षक और हेड आॅफ फारेस्ट फोर्सेज (एचओएफएफ), उत्तर प्रदेश सरकार ने की। उनके साथ रमेश के पांडे, आईएफएस, इंस्पेक्टर जनरल आॅफ फारेस्ट (प्रोजेक्ट एलीफैंट) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार, डॉ. के. मुथामिज सेलवन, साइंटिस्ट-डी, प्रोजेक्ट एलीफैंट डिवीजन, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, डॉ पराग निगम, हेड, डिपार्टमेंट आॅफ वाइल्डलाइफ हेल्थ मैनेजमेंट, एलीफैंट सेल, श्री कार्तिक सत्यनारायण, सह-संस्थापक और सीईओ – वाइल्डलाइफ एसओएस, डॉ धनंजय मोहन, आईएफएस, डायरेक्टर, वाइल्डलाइफ इंस्टिट्यूट आॅफ इंडिया, सी.पी. गोयल, आईएफएस, डायरेक्टर जनरल आॅफ फारेस्ट और स्पेशल सेक्रेटरी, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार, बैजूराज एम.वी, डायरेक्टर कंजरवेशन प्रोजेक्ट्स, वाइल्डलाइफ एसओएस, और डॉ. के.के. सरमा, प्रोफेसर एंड हेड, डिपार्टमेंट आॅफ वेटरनरी सर्जरी, गुवाहाटी वेटरनरी कॉलेज, असम भी शामिल रहे।
कार्यशाला को सत्रों में विभाजित किया गया है, जिसकी मेजबानी पूरे भारत के वन्यजीव पशु चिकित्सा विशेषज्ञों, वन्यजीव वैज्ञानिकों, बायोलॉजिस्ट और ईकोलॉजिस्ट द्वारा की जाएगी, जिन्होंने वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में सराहनीय कार्य किया है।
हाथी हमारी प्राचीन संस्कृति का हिस्सा: ममता दुवे
प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) और हेड आॅफ फारेस्ट फोर्सेज (एचओएफएफ) ममता संजीव दुबे, आईएफएस ने कहा, यह एक बहुत ही सुखद अनुभव है कि डब्ल्यूआईआई हाथियों के रोग प्रबंधन पर विशेष ध्यान देने वाले पशु चिकित्सा अधिकारियों के लिए इस कार्यशाला का आयोजन कर रहा है। हाथी इंसानों से बहुत करीब से जुड़े हुए हैं; विशेष रूप से भारत में जहां वे हमारी लोककथाओं के साथ-साथ हमारी प्राचीन संस्कृति, युद्ध और दैनिक जीवन का हिस्सा हैं।
चिकित्सकों के विचारों को प्रसारित करने का मौका मिलेगा रमेश पांडे
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के रमेश के पांडे, आईएफएस, इंस्पेक्टर जनरल आॅफ फारेस्ट ने कहा, यह कार्यशाला पशु चिकित्सा अधिकारियों को अपने विचारों को प्रसारित करने का एक बड़ा अवसर प्रदान करेगी, न केवल हाथियों की बीमारियों, देखभाल और स्वास्थ्य के मुद्दों पर उचित शिक्षा हासिल करने में बल्कि मानव-हाथी संघर्षों को कम करने और उनका सामना करने के अनुभवों को सीखने में भी मदद मिलेगी।
विशेषज्ञों के कारगर सावित होगी: सत्य नारायण
वाइल्ड लाइफ एसओएस के सीईओ और सह-संस्थापक कार्तिक सत्यनारायण ने कहा,हम भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) और प्रोजेक्ट एलीफेंट डिवीजन, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के साथ इस प्रशिक्षण कार्यशाला के आयोजन के लिए बेहद खुश हैं। इस तरह की कार्यशालाएं वन्यजीव और उनके स्वास्थ प्रबंधन, और तकनीकी क्षेत्र की विशेषज्ञता को बेहतर बनाने में काफी हद तक योगदान दे सकती हैं।
चिकित्सकों को नया अनुभव मिलेगा: बैजूराज
वाइल्डलाइफ एसओएस के डायरेक्टर कंजरवेशन प्रोजेक्ट्स, बैजूराज एम.वी ने कहा, यह कार्यशाला देश भर से हमारे साथ जुड़ने वाले पशु चिकित्सा विशेषज्ञों के लिए बहुत अच्छा अनुभव प्रदान करेगी। वाइल्डलाइफ एसओएस, हमारे हाथी संरक्षण और देखभाल केंद्र में प्रशिक्षण सत्र आयोजित करने के इस अवसर के लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) और प्रोजेक्ट एलीफैंट डिवीजन के आभारी है।