



12 और 13 को संस्थान में होगी राष्ट्रीय संगोष्ठी, प्रस्तुत होंगे शोध पत्र
बाबा न्यूज
आगरा। दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट और भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में 12-13 अप्रैल भारतीय संत मत: दर्शन एवं सामाजिक उपयोगिता पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। यह संगोष्ठी संस्थान के स्कूल आॅफ एजुकेशन के सभागार में आयोजित की जाएगी। यह जानकारी बुधवार को दी गई। देश के अनेक हिस्सों से प्रतिभागी इस संगोष्ठी में अपने शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे। केरल, महाराष्ट्र, बंगाल, राजस्थान, बिहार एवं छत्तीसगढ़ से विद्वान एवं विचारक इस संगोष्ठी में शामिल होंगे। दो दिनों तक चलने वाले इस राष्ट्रीय आयोजन में संत साहित्य के अनेक पहलुओं पर विचार विमर्श किया जाएगा। संगोष्ठी का उद्घाटन केरल के प्रो. ए. अरविंदाक्षन एवं केंद्रीय हिंदी संस्थान के निदेशक प्रो. सुनील बाबुराव कुलकर्णी करेंगे। इस अवसर पर संत साहित्य के मर्मज्ञ और काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी के हिन्दी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो सदानंद शाही विशिष्ट अतिथि होंगे। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से प्रो. संतोष भदौरिया, जामिया से प्रो. दुर्गा प्रसाद गुप्त, लखनऊ केंद्रीय विश्वविद्यालय से सर्वेश सिंह आदि संगोष्ठी में अपने विचार प्रस्तुत करेंगे।
संस्थान में 12 अप्रैल को सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया जाएगा। इस अवसर पर आगरा कॉलेज में संगीत विभाग की डॉ. रीता देव अपना शास्त्रीय गायन प्रस्तुत करेंगी। संगोष्ठी के संयोजक डॉ . बृजराज सिंह ने कहा कि साहित्य और समाज में संतों की वाणियाँ आज भी उतना ही महत्व रखती हैं, जितना की पाँच सौ साल पहले। दयालबाग में संत साहित्य और उसके दर्शन पर संगोष्ठी आयोजित करके विचार विमर्श करना इसलिए प्रासंगिक है क्योंकि संतों ने जिस समाज का स्वप्न देखा था, कबीर और रैदास ने जिस बेगमपुरा की कल्पना की थी उसे दयालबाग ने संभव कर दिखाया है। इस अवसर पर अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष प्रो. जेके वर्मा, कला संकाय की डीन प्रो. संगीता सैनी, हिन्दी विभाग की डॉ. रंजना पांडेय, राजनीति विज्ञान विभाग की डॉ. मोनिका तिवारी, डॉ. कविता रायजादा आदि उपस्थित रहे।